बिजोलिया की ऐतिहासिक धरोहरों को ग्राम पंचायत ने सहेजा

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पर्यटन केंद्र की स्थापना की दरकरार 
बिजौलिया टाइम्स ( मुकेश प्रजापति ) :-नवनिर्वाचित ग्राम पंचायत अपनें नवगठन के साथ ही लगातार विकास कार्यो में बढ-चढकर रूचि लेने के कारण कस्बेंवासियों में सराहना प्राप्त कर रही है। जहां एक ओर ग्राम पंचायत विकास कार्यो में कोई कसर नही छोड़ रही वहीं प्राचीन धरोहरों के जीर्णोद्वार और सार-संभाल में भी पीछे नही है। ग्राम पंचायत बिजौलिया द्वारा भामाशाहों के सहयोग से शीतला, तेजाजी के मंदिरों का पुननिर्माण कराया गया वहीं सब्जी मण्डी स्थल का पुननिर्माण भी ग्राम पंचायत बिजौलिया की विकास गाथा कहता हैं। राजशाही शासन के समय विशेष महत्व रखने वाले बडा दरवाजा के जीर्ण-शीर्ण हिस्सों की सार संभाल तथा दरवाजे की मुकुट पर कंलगी सरीखी छतरी का पुननिर्माण कस्बे के सौंदर्य में फिर चार चांद लगानें लगे हैं। विगत दिनों से बडा दरवाजा के संपूर्ण परिधि क्षैत्र में जीर्णोद्वार के साथ ही रंग-रोगन आदि करवाकर इस पुरानी धरोहर की सार संभाल की गई जिसकी कस्बेवासियों द्वारा मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की जा रही है। विदित रहें कि चैवालिस वर्षो तक लगातार चलें अहिसंक आन्दोलन के कारण बिजौलिया कस्बा पूरे भारत देश में अपनी प्रसिद्वि रखता हैं। साधुसीताराम के साथ विजय सिंह पथिक और माणिक्यलाल वर्मा ने 44 वर्षो की अवधि में तीन चरणों में इस आन्दोलन को चलाया और अन्ततः यह आन्दोलन 44वें वर्ष में सफल किसान आन्दोलन बना। साधुसीताराम दास को इसी क्रम में महात्मा गांधी से मुलाकात का अवसर मिला। बिजौलिया स्थित जैन तीर्थ स्थल भगवान पाश्र्वनाथ मंदिर, मंदाकिनी मंदिर, कुण्ड और बावडिया यहां के प्रसिद्व दर्शनीय स्थल है वही पाश्र्वनाथ जैन मंदिर स्थित शिलालेख भी इतिहास की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। बिजौलिया कस्ब पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान तो रखता है किंतु सैलानियों के अनुभवों की दृष्टि से देखा जाय तो दर्शनीय स्थलों तक पर्यटन की व्यवस्था, सैलानियों के स्वागत सत्कार केन्द्र तथा आवास व्यवस्था में आने वाली कठिनाई को पर्यटक अपनें कडवे अनुभवों में गिनाते हैं। कुछ सैलानी मंडोल स्थित बांध को झील समझते है वस्तुतः यह मानव निर्मित बांध है जिसे कस्बे पेयजल आवश्यकता एवं सिंचाई कारणो से बनाया गया। कस्बे में पर्यटन क्षैत्र में सुधार और विकास की दरकार है।