जीवन जीने का दर्शन एवं कला है भागवत कथा, कमल के समान हो हमारा जीवन-संतोषसागर महाराज

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परमात्मा को जान लेने पर कुछ नहीं रह जाता जीवन में जानने के लि

सनातन धर्म भागवत कथा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव का दूसरा दिन

भीलवाड़ा । जीवन में सब कुछ पाना आसान है लेकिन सत्संग का सौभाग्य मुश्किल से मिलता है। स्वयं को जान जाए और जगत को बनाने वाला क्या है यह जान जाए तो फिर जानने के लिए कुछ ओर शेष नहीं रह जाता है। ज्ञान के द्वारा ही परमात्मा को पहचाना जा सकता है। ज्ञान के आने पर अज्ञान नहीं रहता। सत्य को जानना ही ज्ञान है। हम परमात्मा से बने है तो हमारे में सदा ये भाव रहना चाहिए कि हमारे अंदर परमात्मा है। ये विचार सनातन धर्मयात्रा के प्रणेता राष्ट्रीय युवा संत संतोषसागर महाराज ने शुक्रवार को भीलवाड़ा के शास्त्रीनगर स्थित जाट भवन में सनातन धर्म भागवत कथा समिति के तत्वावधान में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के दूसरे दिन व्यास पीठ से कथावाचन करते हुए व्यक्त किए। राजस्थान के 25 जिलों में सनातन धर्मयात्रा निकालने के बाद 26वें पड़ाव के रूप में भीलवाड़ा पहुंचे संतोषसागरजी महाराज ने कहा कि आत्मा के साथ संबंध केवल भगवान का है। जागे बिना 100 कथाएं सुनने पर भी जीवन में कोई परिवर्तन नहीं आता लेकिन जागृत अवस्था में एक बात आपके जीवन में क्रंाति ला सकती है। इस जगत में रहने की विद्या कमल पुष्प से सीखनी चाहिए जो खिलता कीचड में है लेकिन इतना उपर उठा रहता है कि उस पर कीचड़ नहीं लग पाता है। पानी में नाव चलना प्रकृति है लेकिन विकृति तब होती है जब नाव में पानी चलने लगता है। पूज्य संतोषसागर महाराज ने कहा कि हम संसार में है ये समस्या नहीं है लेकिन संसार हम में आ जाए तो यह विकृति है। इस विकृति को भागवत कथा के अलावा कोई अन्य दूर नहीं कर सकता। जीवन जीने का दर्शन एवं कला भागवत कथा है। अपना जीवन कमल समान बनाने के लिए संसार में रहकर संसार से अलग रहना सीखना होगा। कथा के शुरू में भागवतजी की आरती व पूजा अग्रणी जजमान हेमराज बजाज, सागरमल राठी, राजेश सोमानी एवं रतनलाल बाहेती ने की। आयोजन समिति के अध्यक्ष श्याम चांडक ने अतिथियों का स्वागत किया। आभार आयोजन समिति के महासचिव शांतिप्रकाश मोहता ने जताया। कथा के दौरान भजनों पर श्रोता जमकर झूमते रहे और भगवान के जयकारे लगते रहे। भागवत कथा महोत्सव के तहत 21 दिसम्बर तक प्रतिदिन दोपहर 1.30 से शाम 5.30 बजे तक जाट भवन में कथा वाचन होगा।

संगम स्कूल के विद्यार्थियों को निःशुल्क गीता वितरण

श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के दूसरे दिन गुरूवार सुबह पूज्य संतोषसागर महाराज ने संगम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस (एसएसई) में आयोजित कार्यक्रम में बच्चों को श्रीमद् भागवत गीता का महत्व समझाते हुए इसे जीवन का अंग बनाने की प्रेरणा प्रदान की। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत गीता कोई सामान्य ग्रंथ नहीं बल्कि जीवन दर्शन को समझाने वाला महत्वपूर्ण ग्रंथ है। गीता केवल कोर्ट तक सीमित नहीं रहकर स्कूली पाठ्यक्रम में भी शामिल की जानी चाहिए ताकि बच्चों को बचपन से ही इस महत्वपूर्ण ग्रंथ में दिए गए उपदेशों को समझने का अवसर मिल सके। उन्होंने कहा कि बच्चों को प्रतिदिन गीता के श्लोकों का उच्चारण करना चाहिए इससे उन्हें अपने जीवन के लक्ष्य को समझने में सहायता मिलेगी। संतोषसागर महाराज ने श्रीमद् भगवत गीता के बारे में बच्चों की जिज्ञासाओं को भी शांत किया। कार्यक्रम में संगम ग्रुप के प्रबंध निदेशक एसएन मोदानी, सनातन धर्म भागवत कथा समिति के अध्यक्ष श्याम चांडक, राधाकिशन सोमानी, दिनेश राठी, नारायण बाहेती, राधेश्याम सोमानी आदि मंचासीन थे। इस मौके पर बच्चों को निःशुल्क गीता भी वितरित की गई।