
मन को मत बनाओ डस्टबिन, सच्चे मन से करो परमात्मा की भक्ति
सनातन धर्म भागवत कथा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव का तीसरा दिन
भीलवाड़ा । भगवान का नाम जपने व उसके आश्रय में जाने के अलावा इस दुनिया में ऐसा कोई चमत्कार नहीं है जो आपके दुःख को दूर कर सके। जिसने भगवान का नाम जप लिया वह संसार सागर से पार हो जाएगा। परमात्मा के प्रति समपर्ण व भक्ति ही जीवन के दुःख, वेदना व तकलीफ को समाप्त कर सकता है। भगवान की कथा केवल श्रवण ही नहीं करना है उसके प्रति हमारी प्रीति भी हो। ये विचार सनातन धर्मयात्रा के प्रणेता राष्ट्रीय युवा संत संतोषसागर महाराज ने शनिवार को भीलवाड़ा के शास्त्रीनगर स्थित जाट भवन में सनातन धर्म भागवत कथा समिति के तत्वावधान में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के तीसरे दिन व्यास पीठ से कथावाचन करते हुए व्यक्त किए। कथा के शुरू में भागवतजी की आरती व पूजा अग्रणी जजमान तनसुखराय सोमानी, दिनेश पेड़िवाल व प्रकाश झंवर ने की। तीसरे दिन विशिष्ट अतिथि नगर विकास न्यास के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण डाड एवं उद्यमी त्रिलोकचंद छाबड़ा थे। अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के अध्यक्ष श्याम चांडक एवं महासचिव शांतिप्रकाश मोहता ने किया। राजस्थान के 25 जिलों में सनातन धर्म प्रचार यात्रा निकालने के बाद 26वें पड़ाव के रूप में भीलवाड़ा पहुंचे संतोषसागरजी महाराज ने कहा कि हमे दुनिया की कथाएं याद है लेकिन भगवान की कथा याद नहीं रहती। भागवत कथा में एक दिन पहले क्या बोला गया यह याद नहीं रहता लेकिन परिजन, पड़ौसी या मित्र ने बरसों पहले क्या कड़वी बात कहीं भूलते नहीं है और मन में गांठ बांध लेते है। जिसे याद रखना चाहिए उसे याद नहीं रखते और जिसे भूल जाना चाहिए उसे याद रखते है। हमने मन को डस्टबिन बना दिया है जबकि इसमें तो परमात्मा का वास होना चाहिए। मन में कचरा भर गया तो आपके व्यवहार में दुर्गन्ध आएगी जब कि मन भगवान का मंदिर है। बाकी सब बाते भूल जाए लेकिन दो बाते नहीं भूले भगवान ओर आपकी मृत्यु। महाराजश्री ने कहा कि भगवान की कथा में उन्हीं को आनंद आता जिनकी भगवान से प्रीति होती है। तीर्थ जाते समय किसी तरह का दिखावा नहीं कर त्याग व सात्विकता के साथ जाना चाहिए। संतोषसागर महाराज ने कहा कि मैं और मेरा की भावना बंधन का मुख्य कारण है। भगवान को सब समर्पित कर मुक्त हो जाने में ही जीवन की सार्थकता है। पहले घर छोटे और दिल बड़े होते थे लेकिन अब घर तो बड़े हो रहे लेकिन दिल छोटे हो गए है। जिसने अपने मोह को मिटा लिया वह मोढ़ होता है, जिसने परमात्मा को साध लिया वह साधु होता है ओर जो अपनी वासनाओं का अंत कर दे वह संत होता है। मोह की गांठ खुले बिना मुक्ति नहीं हो सकती। आयोजन समिति के उपाध्यक्ष राधाकिशन सोमानी एवं कैलाश तापड़िया ने बताया कि आयोजन के तहत रविवार रात 8 बजे से पूज्य संतोषसागर महाराज के सानिध्य में नानी बाई का मायरा कथा का आयोजन होगा। महोत्सव के तहत 20 दिसम्बर की रात 8 बजे से भजन संध्या का आयोजन होगा। इसमें संगीत संस्थान के कलाकार भजनों की प्रस्तुति देंगे। कथा आयोजन को सफल बनाने में मरूधरा माहेश्वरी संस्थान का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। तीसरे दिन कथा के दौरान भजनों पर श्रोता जमकर झूमते रहे और भगवान के जयकारे लगते रहे। भागवत कथा महोत्सव के तहत 21 दिसम्बर तक प्रतिदिन दोपहर 1.30 से शाम 5.30 बजे तक जाट भवन में कथा वाचन होगा।

दुनिया की सबसे बड़ी मनोचिकित्सक श्रीमद भागवत गीता पुस्तक
सनातन धर्म भागवत कथा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा महोत्सव के तहत भीलवाड़ा पधारे पूज्य संतोष सागर महाराज ने शनिवार को भारत विकास परिषद द्वारा आयोजित अखिल भारतीय राष्ट्रीय समूहगान प्रतियोगिता में सानिध्य प्रदान किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा की जिस उद्देश्य परिषद का ये समूहगान कार्यक्रम आयोजित हुआ है वही उद्देश्य इस संकल्प यात्रा का भी है। उन्होंने कहा में भगवान का सन्देश रूपी गीत हर युवा तक पहुंचाना चाहता हूं। गीता गीत है और ये गीत भगवान कृष्ण ने अपने सखा अर्जुन को तब सुनाया जब वे अवसाद में थे महाभारत के युद्ध में निराश हताश हो गए तब भगवान ने उनका आत्म बल बढ़ाया। दुनिया की सबसे बड़ी मनोचिकित्सक किताब है गीता जिसको राजस्थान के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।महाराज श्री ने उपस्थित सभी अतिथियों व सज्जनों को गीता रूपी उपहार प्रदान किया। महाराज श्री ने कहा भारत विकास परिषद स्वामी विवेकानंद जी के जीवन मूल्यों पर चलने वाली ऐसी संस्था है जो सेवा संस्कार व समर्पण से कार्य कर रही है। आज जरूरी है युवाओं को हमारी सनातन संस्कृति व संस्कृत भाषा का ज्ञान हो तभी भारत पुनः विश्व गुरु बनेगा। सनातन धर्म प्रचार यात्रा संयोजक शिवकुमार तिवाड़ी ने यात्रा के उद्देश्यों व अब तक के कार्यों पर जानकारी दी।
कार्यक्रम में राम कुमार बाहेती,राधेश्याम सोमानी,भेरूदान करवा,दिनेश राठी, रेणु सोमानी सन्तोषसागर महाराज के साथ रहे। संस्थान ने महाराज श्री का शॉल और स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया।
मन चल वृन्दावन धाम जपेंगे राधे-राधे नाम
श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव में तीसरे दिन कथा शुरू होने से लेकर अंत तक श्रद्धालु संगीतमय भक्तिरस में डूबे रहे। श्रीमद् भागवत कथा के विभिन्न प्रसंगों के वाचन के दौरान बीच-बीच में भजनों की गंगा प्रवाहित होती रही। जैसे ही व्यास पीठ से संतोषसागर महाराज कोई भजन शुरू करते कई श्रद्धालु अपनी जगह खड़े होकर नृत्य करने लगते। उन्होंने मन चल वृन्दावन धाम जपेंगे राधे-राधे नाम मिलेंगे कुंजबिहारी मिलेंगे बांकेबिहारी, श्रीमद् नारायण नारायण हरे-हरे आदि भजन गाए तो पांडाल में श्रद्धालु नृत्य करने लगे।