
कभी खुशी कभी गम शायद इसी का नाम जीवन
महाआरती के साथ श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ महोत्सव की पूर्णाहुति
भीलवाड़ा, मूलचन्द पेसवानी
जिंदगी में किसी तरह का नशा कभी नहीं करना चाहिए। नशा करना ही हो तो हरिनाम का करें जो जीवन का कल्याण कर सकता है बाकी सब नशे जीवन के सर्वनाश का कारण बनता है। रामनाम का नशा हो जाए तो तुम्हारी जिंदगी संवर जाएगी। शराब के नशे ने भगवान श्रीकृष्ण के यादव कुल का नाश कर दिया ओर आज भी नशा नाश ही कर रहा है। ये विचार ये विचार अन्तरराष्ट्रीय रामस्नेही सम्प्रदाय के परम पूज्य संत रामप्रसादजी महाराज (बड़ौदा) ने रविवार को भीलवाड़ा के महेश वाटिका में सोनी परिवार के तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान गंगा महोत्सव के अंतिम दिवस समापन अवसर पर व्यक्त किए। इस मौके पर सुदामा चरित्र प्रसंग का वाचन करने के साथ अंत में भागवत पूजन के साथ आयोजक सोनी परिवार द्वारा महाआरती की गई। हजारों श्रद्धालुओं ने महाआरती का पुण्य प्राप्त किया। कथा के दौरान संत रामप्रसादजी महाराज ने कहा कि युवाओं को सही दिशा मिल जाए तो वह समाज का कल्याण कर सकते है। बुद्धि जब बिगड़ती है तो गुरू, संत व भगवान की परीक्षा लेने का प्रयास होता है। न तो कोई साथ आया है ओर न कोई साथ जाएगा जब तक इस संसार में मौजूद रहे अनुकूलता-प्रतिकूलता कुछ भी आए अपनी मुस्कराहट व प्रसन्नता मत छोड़ना। उन्होंने कहा कि बिंदास मुस्कराओं, जिंदगी में टेंशन किसको कम है। कभी खुशी कभी गम है शायद इसी का नाम जीवन है। मुस्कराहट से बीमारियां दूर हो जाती जबकि टेंशन में रहोंगे तो बीमारियां जकड़ लेंगी। दुनिया तो रूलाएंगी, सद्गुरू मुस्कराने की प्रेरणा देंगे। महाराजश्री ने कहा कि माया के चक्कर में मुस्कराहट कभी कम न होने दे। सृष्टि के हर तत्व से कुछ न कुछ गुण सीखा जा सकता है। कथा के अंतिम दिन आयोजक सोनी परिवार की ओर से व्यास पीठ से कथाश्रवण करा रहे पूज्य संत रामप्रसादजी महाराज का पुष्पों की विशाला माला पहना व शाल ओढ़ाकर अभिनंदन किया गया। आयोजक परिवार के दिनेश सोनी ने आयोजन को सफल बनाने में सहयोग करने वालों का ओर कथाश्रवण के लिए आने वाले भक्तगणों का आभार जताया। इससे पूर्व सुबह कथास्थल पर हवन का आयोजन भी किया गया। कथा के दौरान माहेश्वरी महासभा के पूर्व राष्ट्रीय सभापति रामपाल सोनी एवं चारभुजानाथ बड़ामंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष उदयलाल समदानी आदि अतिथियों का शाल ओढ़ाकर स्वागत किया गया।

जग में मित्रता हो तो कृष्ण-सुदामा जैसी
संत रामप्रसादजी महाराज ने सुदाम चरित्र प्रसंग सुनाते हुए मित्रता की परिभाषा समझाते हुए कहा कि वर्तमान में सच्चे मित्र मिलना दुर्लभ है, जग में मित्रता हो तो कृष्ण-सुदामा जैसी। सुदामा के चरणों का कांटा भगवान ने अपने मुख से निकाला। वर्तमान युग में ऐसा कौन है जो मित्र के दुःख को बांटने के लिए अपने सुख छोड़ दे। संसार वाले तो मित्रता की आड़ में कांटे चुभाते है लेकिन कांटे निकालने का कार्य भगवान गोविन्द करता है। मित्र उसी को बनाना चाहिए जिसका मन पवित्र हो। उन्होंने जब दरिद्र सुदामा के द्वारिकाधीश भगवान कृष्ण से मिलने आने और भगवान द्वारा जल की बजाय आसूंओं से सुदामा के चरण धोने का प्रसंग सुनाया तो माहौल भावनापूर्ण हो गया। उन्होंने कहा कि दरिद्र वहीं है जिसके पास भगवान रूपी धन नहीं है। आप से धर्म नहीं होता तो मत करों लेकिन जो धर्मरक्षा में लगा उसका तन-मन-धन से साथ दो। सुदामा चरित्र प्रसंग के वाचन के दौरान सजीव झांकी में सुदामा का पात्र सार्थक भदादा ने निभाया। द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण का पात्र अभिषेक असावा ने ओर रूक्मणी की भूमिका सोनल असावा ने अदा की।
गुलाब की पंखुड़ियों से खेली होली, झूमे उठे भक्तगण
सुदामा चरित्र प्रसंग के वाचन के दौरान गुलाब की पंखुड़ियों से होली भी खेली गई। आज ब्रज में होली रे रसिया भजन के साथ सैकड़ो श्रद्धालु झूम उठे ओर मंच के समक्ष आकर नृत्य करने लगे। इस दौरान जमकर पुष्पवर्षा हुई ओर होली का आनंद लिया गया। मंच के समक्ष गुलाब की पंखुड़ियां ही पंखुड़िया फैल गई। महाराजश्री ने कहा कि द्वारिकाधीश कृष्ण ने सुदामा को हर प्रकार का आनंद प्रदान किया।