कृष्ण जीवन से सीख सकते मुस्कराने की कला, उनका नाम ही आनंद व उत्सव का प्रतीक-संतोषसागर महाराज

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परमात्मा जिसको पकड़ ले उसे छोड़ते नहीं लेते रहे भगवान का नाम

सनातन धर्म भागवत कथा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव का पांचवा दिन

भीलवाड़ा, 19 दिसम्बर। भगवान श्रीकृष्ण की जीवन की हर बात कोई न कोई संदेश देने वाली है। सुख-दुःख जीवन का हिस्सा है लेकिन कुछ लोग आत्मज्ञान प्राप्त कर इससे उपर आनंद की स्थिति में पहुंच जाते है। आनंद से भी उपर की स्थिति परमानंद की होती है जो भगवान की शरण में जाने से ही प्राप्त होती है। हंसते हुए प्राकट्य होने वाले श्रीकृष्ण का नाम ही आनंद व उत्सव का प्रतीक है। भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से हर स्थिति में मुस्कराने की कला सीख सकते है। ये विचार सनातन धर्मयात्रा के प्रणेता राष्ट्रीय युवा संत संतोषसागर महाराज ने सोमवार को भीलवाड़ा के शास्त्रीनगर स्थित जाट भवन में सनातन धर्म भागवत कथा समिति के तत्वावधान में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के पांचवें दिन व्यास पीठ से कथावाचन करते हुए व्यक्त किए। कथा के शुरू में भागवतजी की आरती व पूजा अग्रणी जजमान रामकुमार बाहेती, महेश हुरकट, भैरूदान करवा आदि ने की। राजस्थान के 25 जिलों में सनातन धर्म प्रचार यात्रा निकालने के बाद 26वें पड़ाव के रूप में भीलवाड़ा पहुंचे संतोषसागरजी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने दुनिया को मुस्कराने का संदेश दिया। हमारे जीवन की तरह श्रीकृष्ण के जीवन में भी चुनौतियां कम नहीं थी लेकिन उन्होंने हर परिस्थिति में मुस्कराने की सीख दी। जीवन की 99 प्रतिशत समस्याएं मुस्कराहट से कम हो सकती है। महाराजश्री ने भगवान श्रीकृष्ण की बाललीला से जुड़े विभिन्न प्रसंगों का वाचन करते हुए कहा कि भगवान जिसको पकड़ लेते है उसे कभी छोड़ते नहीं है इसलिए सदा भगवान नाम का सुमिरन करते रहना चाहिए। अहंकार रहित होकर निर्मलमन से भगवान की भक्ति करें आपके जीवन की नाव मंझधार में डूब नहीं सकती। श्रीमद् भागवत गीता वेद व पुराणों का सार है। आयोजन के पांचवें दिन गोवर्धन पूजा प्रसंग के वाचन के दौरान छप्पन भोग भी लगाया गया। विशिष्ट अतिथि उद्यमी लादूलाल बांगड़, जिला अभिभाषक संघ के पूर्व अध्यक्ष हेमेन्द्र शर्मा, भीलवाड़ा मजदूर संघ के अध्यक्ष पन्नालाल चौधरी, महेश सेवा समिति के कोषाध्यक्ष सत्यनारायण मूंदड़ा, जुगलकिशोर दिनेश बागरोदिया, पार्षद आशा शर्मा, पंडित अशोक व्यास, कैलाश शर्मा आदि ने व्यास पीठ पर विराजित संतोषसागर महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया। अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के अध्यक्ष श्याम चांडक एवं महासचिव शांतिप्रकाश मोहता ने किया।
आयोजन समिति के संरक्षक मुरारीलाल बिहानी ने सनातन धर्म यात्रा के तहत निःशुल्क गीता की पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए एक लाख रूपए एवं जुगलकिशोर दिनेश बागरोदिया ने 51 हजार रूपए प्रदान करने की घोषणा की। कथा के दौरान भजनों पर श्रोता जमकर झूमते रहे और भगवान के जयकारे लगते रहे। भागवत कथा महोत्सव के तहत 21 दिसम्बर तक प्रतिदिन दोपहर 1.30 से शाम 5.30 बजे तक जाट भवन में कथा वाचन होगा।

श्री संगीत संस्थान की भजन संध्या मंगलवार को

आयोजन समिति के उपाध्यक्ष राधाकिशन सोमानी, कैलाश तापड़िया, राजेन्द्र दम्मानी, सुरेश दम्मानी ने बताया कि आयोजन के तहत मंगलवार 20 दिसम्बर की रात 8 बजे से प्रभु इच्छा तक भजन संध्या में सुमधुर भजनों की प्रस्तुतियां श्री संगीत संस्थान के ख्यातनाम कलाकारों द्वारा दी जाएगी। श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के समापन पर हवन एवं पूर्णाहुति 22 दिसम्बर सुबह 9 बजे शास्त्रीनगर स्थित माहेश्वरी भवन में होगी।

श्री राधे गोविन्द गोपाला हरि का प्यारा नाम है

श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव में पांचवें दिन कथा शुरू होने से लेकर अंत तक श्रद्धालु संगीतमय भक्तिरस में डूबे रहे। श्रीमद् भागवत कथा के विभिन्न प्रसंगों के वाचन के दौरान बीच-बीच में भजनों की गंगा प्रवाहित होती रही। जैसे ही व्यास पीठ से संतोषसागर महाराज कोई भजन शुरू करते कई श्रद्धालु अपनी जगह खड़े होकर नृत्य करने लगते। उन्होंने श्री राधे गोविन्द गोपाला हरि का प्यारा नाम है, ब्रज में हो रही जय-जयकार नंदघर लाला जायो है, कृष्ण तेरे नाम पर कुर्बान हो रही सूरत को देख-देख परेशान हो रही आदि भजन गाए तो पांडाल में श्रद्धालु नृत्य करने लगे। नृत्य करने वालों में महिला-पुरूष सभी उम्र वर्ग के श्रद्धालु शामिल थे।

राजेन्द्र मार्ग स्कूल में बच्चों को दिया गीता का प्रेरणादायी सन्देश

सनातन धर्म भागवत कथा समिति के तत्वावधान में आयोजित श्रीमद भागवत कथा महोत्सव के लिए भीलवाड़ा आए
पूज्य संतोष सागरजी महाराज ने सोमवार को राजेंद्र मार्ग राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में 2 हजार छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा युवाओं में जोश के साथ होश भी होना चाहिए तभी उसकी ऊर्जा का सही उपयोग हो सकता है। उन्होंने कहा हमे चिंता नहीं चिंतन करना चाहिए तभी अच्छे परिणाम मिलते है। जिस प्रकार एक इमारत को मजबूती से खड़ा करने हेतु 4 स्तंभ चाहिए वैसे ही जीवन रूपी भवन के लिए 4 स्तंभ है बुद्धि बल,धन बल, बहु बल और सबसे महत्व पूर्ण आत्म बल। आत्म बल अध्यात्म और गीता पठन से आता है। गीता दुनिया की सबसे बड़ी मनोचिकित्सक किताब है।महाराज श्री ने सभी छात्र छात्राओं को निशुल्क गीता प्रदान की। यात्रा संयोजक शिव कुमार तिवाड़ी ने यात्रा के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा की गीता सनातन धर्म की आत्मा है। स्कूल कार्यक्रम की अध्यक्षता शांति प्रकाश मोहता ने की। विशिष्ट अतिथि, कैलाश तपाड़िया, राधेश्याम सोमानी, नंद किशोर झंवर, रामेश्वर बाहेती, दिनेश राठी थे। संचालन शिव कुमार तिवाड़ी ने किया।

राजस्थानी भाषा में नानी बाई का मायरा कथा का आयोजन

कथा महोत्सव के तहत रविवार रात्रि को जाट भवन में राजस्थानी भाषा में संगीतमय नानी बाई का मायरा का आयोजन हुआ। जिसमें श्री संतोष सागर जी महाराज ने कथा सुनाते हुए नरसी मेहता के जीवन चरित्र को त्याग और भक्ति की प्रतिमूर्ति बताया। इस अवसर पर मरुधर महेश्वरी संस्थान ने ढाई लाख का मायरा भरा। कार्यक्रम में श्याम चांडक, मुरारीलाल बिहानी, राधाकिशन सोमानी, राधेश्याम सोमानी, नंद किशोर झवर, कैलाश तपाड़िया शांति प्रकाश झंवर, दिनेश पेडीवाल, महेश हूरकट, प्रकाश झवर, मनोज शारडा, मेघराज बाहेती, पुरुषोत्तम बजाज, रतन लाल बाहेती, रामेश्वर बाहेती,हनुमान प्रसाद दम्मानी सहित सैंकड़ों भक्त मौजूद थे।