
शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी
संस्कृत-भारती चित्तौड़ प्रांत द्वारा आयोजित शीतकालीन आवासीय संस्कृत संभाषण शिविर हेतु सोमवार को शाहपुरा से भीलवाड़ा अजयमेरु विभाग सह-संयोजक परमेश्वर प्रसाद कुमावत और प्रभु श्री रामचरण कन्या विद्या पीठ के प्राचार्य डॉ. ओमप्रकाश के नेतृत्व में बल्दरखा, नई राज्यास, पनोतिया, कोठियाँ, ईंटड़िया, संग्रामगढ, रोपाँ, पारोली, इँदोकिया के 70 शिबिरार्थियों को भगवा ध्वज दिखा कर रवाना किया ।
इस मौके पर भीलवाड़ा अजयमेरु विभाग सह-संयोजक परमेश्वर प्रसाद कुमावत ने कहा कि संस्कृत ही विश्व की सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक भाषा है तथा संस्कृत ही सृष्टि की एकमात्र भाषा है। जिसके शब्द कभी भी भ्रष्ट नहीं होते, उनका अर्थ नहीं बदलता है। यही एकमात्र भाषा है, जिसको कम्प्यूटर प्राकृत रूप में जैसी है, वैसी ही स्वीकार करता है। आगे उन्होंने सम्बोधित करते हुए कहा कि आज कोट-पेंट पहनने वाले भी संस्कृत भाषा को सीखने का प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि विश्व का समस्त ज्ञान वेदों में ही है और वेद संस्कृत भाषा मे हैं, उन्होंने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने भी अपने देश के उज्जवल भविष्य के लिये संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित किया है। यह संस्कृत की महानता ही है कि आज विदेशों में भी संस्कृत के विश्वविद्यालय खुल रहे हैं।
महाप्रभु श्री रामचरण कन्या विद्यापीठ के प्राचार्य डॉ. ओमप्रकाश ने कहा की प्रत्येक शास्त्र संस्कृत में ही है साथ ही, गणित व अर्थशास्त्र जैसे विषयों के सूत्र भी संस्कृत में ही है, इसलिये संस्कृत विश्व की श्रेष्ठ व सनातन भाषा है और संस्कृत का प्रभाव विश्व की सभी भाषाओं पर है। संस्कृत भारती का प्रयास निरंतर चलता रहे तो लोग संस्कृत आसानी से बोल सकेंगे। इस मौके पर तहसील पत्राचार प्रमुख गणपत कोली, दुर्गेश वैष्णव, दिनेश बैरवा, नैतिक वैष्णव, देव आर्यन सोनी,कालुराम कुमावत, सुनील वैष्णव, रितिका माली, जसवन्त सिंह राठौड़, राहुल लुहार आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।