भीलवाड़ा। (पंकज पोरवाल) अहिंसा भवन शास्त्री नगर में प्रखर वक्ता साध्वी प्रितीसुधा ने श्रोताओं को धर्म संदेश प्रदान करतें हुए कहा कि धर्म ध्यान करने वाला मनुष्य आत्मा को उच्चगति दिलवा सकता है। धर्म के माध्यम से व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग चुनता है और दुखों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। बिना साधना के मनुष्य का जीवन निरर्थक और शून्य है। साधना के द्वारा ही आत्मा शुध्द बनती है धर्म और ध्यान दोनों तत्त्वों के ऐसे संयोग से ही व्यक्ति सत्य, अहिंसा, आत्मानुभूति और मुक्ति की प्राप्ति की ओर अग्रसर होता है। धर्म के मार्ग पर चलने से व्यक्ति समाज में उच्चतम आदर्शों की प्राप्ति करता है और ध्यान के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति और मुक्ति को प्राप्त कर सकता है। वो तभी संभव हो सकता जब मनुष्य धर्म और ध्यान मे समर्पित होकर साधना के मार्ग पर चले। इस दौरान साध्वी मधुसुधा ने कहा कि बिना धर्म साधना किये मनुष्य को जीवन मे सफलता नही मिलने वाली है साधना से मुक्ति का मार्ग मिल सकता है। इस दौरान अहिंसा भवन के अध्यक्ष लक्ष्मणसिंह बाबेल, अशोक पोखरना, हेमन्त आंचलिया, कुशलसिंह बूलिया, हिम्मतसिंह बाफना, सरदार सिंह कावड़िया, रिखबचंद पीपाड़ा, संदीप छाजेड़ आदि अनेक पदाधिकारियों और श्रध्दालूओ की धर्मसभा मे उपस्थित रही।