श्रमण संघ के कोहिनूर हीरे, मानव सेवा की मिसाल, ऐसे महान गुरू का हम सब करते है गुणगान

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गुरू रूपचंदजी म.सा. की पुण्यतिथि पर सजोड़ा नवकार महामंत्र जाप के साथ गुणानुवाद

गुरू द्वय पावन अष्ट दिवसीय जन्मोत्सव ‘‘आओ जप, तप, सामायिक करें’’ का आगाज

भीलवाड़ा, 24 अगस्त। भक्ति ओर भावनाओं का सागर हिलौरे मार रहा था। साध्वीवृन्द हो या श्रावक-श्राविका हर कोई लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान रूपचंदजी म.सा. की पुण्यतिथि पर अपने मन के भाव उनके दिव्य चरणों में समर्पित करने को आतुर था। कोई ऐसे महान गुरू के गुणानुवाद में पीछे नहीं रहना चाहता था। गुरू के प्रति श्रद्धा और भक्ति के भाव उमड़े तो रूप रजत विहार के प्रांगण में बैठने की जगह मिलना भी मुश्किल हो गया। धर्म व श्रद्धा से ओतप्रोत ये नजारा गुरूवार सुबह श्री अरिहन्त विकास समिति के तत्वावधान में मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. के सानिध्य में मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा. की 133वीं जयंति एवं एवं लोकमान्य संत शेरे राजस्थान रूपचंदजी म.सा. की 96वीं जयंति के उपलक्ष्य में अष्ट दिवसीय गुरू द्वय पावन जन्मोत्सव के आगाज अवसर पर आयोजित सजोड़ा नवकार महामंत्र जाप एवं गुणानुवाद में दिखा। पूज्य गुरूदेव रूपचंदजी म.सा. की पुण्यतिथि होने से उन्हें भावाजंलि अर्पित करते हुए गुणानुवाद किया गया। सजोड़ा नवकार महामंत्र जाप के साथ शुरू आयोजन में महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने कहा कि पूज्य रूपचंदजी म.सा. जैसे गुरू के गुणों का वर्णन शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। वह जलती हुई मशाल की तरह थे जिन्होंने हजारों अंधेरे जीवन में खुशियों की धर्ममय रोशनी प्रज्वलित की। उनकी मानवता पर अनंत कृपा रही ओर परोपकार की भावना से उन्होंने कई लोगों के जीवन में नई उम्मीद जगाई। आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा. ने गीत ‘ रूप् रजत के चरण पड़े पावन ये धरती है’ से अपनी बात शुरू करते हुए कहा कि गुरूदेव का जीवन सागर के समान गहरा ओर आकाश के समान उंचा था, उसे चंद शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। चेहरे पर सोम्यता व जीवन में सरलता रखने वाले शेरे राजस्थान रूपमुनिजी म.सा. मरूधरा की शान थे जिन पर सारी दुनिया नाज करती है। गुरूदेव का वियोग बहुत तकलीफ देने वाला रहा उन्हें अर्न्तमन से भावांजलि अर्पित करते है। मधुर व्याख्यानी डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. ने पूज्य गुरूदेव रूपचंदजी म.सा. को श्रमण संघ का कोहिनूर हीरा बताते हुए कहा कि वह जन्म से जैन नहीं थे लेकिन उन्हें जैनत्व स्वीकार कर जिस तरह धर्म की प्रभावना की वह जन्म से जैनी भी मुश्किल से कर पाएंगे। सम्प्रदायवाद की संकीर्ण सोच से उपर उठकर गुरूदेव रूपमुनिजी ने पूरे संघ-समाज के उत्थान व विकास की प्रेरणा प्रदान की। जो भी उनके पास आया कभी निराश नहीं लौटा। उनकी सेवा भावना मानव तक ही सीमित नहीं होकर जीवदया के क्षेत्र में भी मिसाल बनी। उनका हमेशा मानना रहा गुरूदेव का नाम कर दिया तो अपना नाम स्वतः हो जाएगा। उनके जीवन का कण-कण हमारे लिए प्रेरणादायी व पथ प्रदर्शक है। हम उनके जीवन का अनुसरण करते हुए सद्कर्म व पुण्यकार्य करें तो कभी दुःख नहीं आएगा। सभी को पुण्यतिथि पर त्याग व नियम की भेंट गुरूदेव के चरणों में चढ़ानी है। धर्मसभा में तत्वचिंतिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने कहा कि पूज्य गुरूदेव रूपचंदजी म.सा. का जीवन दुनिया में छाप छोड़ने वाला है। वह अंतिम समय तक मानव की पीड़ा हरने व परोपकार में लगे रहे। वह कभी सम्प्रदायवाद में नहीं उलझे न कभी गुरू आज्ञा कराई। जो भी उनके दर्शन-वंदन के लिए आया उसे समान भाव से स्नेह ओर धर्मवाणी प्रदान की। उन्होंने मारवाड़ में गांव-गांव में गौशाला खोली। उनके देवलोकगमन पर केवल भक्त ही उदास नहीं हुए बल्कि कबुतरों ने दाना चुगने ओर गायों ने घास खाने से इंकार कर दिया। ये भी संयोग रहा कि उनका जन्म भी दशमी को हुआ ओर शरीर का त्याग भी दशमी को किया। धर्मसभा में तरूण तपस्वी हिरलप्रभाजी ने गुरूदेव रूपचंदजी म.सा. को भावाजंलि के रूप में गीत ‘‘गुरूवर थारी पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन चढ़ावा है’’ की प्रस्तुति दी। धर्मसभा में सेवाभावी साध्वी दीप्तिप्रभाजी म.सा. का भी सानिध्य रहा। धर्मसभा में सुश्रावक प्रेमचंद गुगलिया, नवीन नाहर एवं सुश्राविका निशा हिंगड़ ने भी गुरूभक्ति से ओतप्रोत रचनाओं की प्रस्तुति दी। धर्मसभा का संचालन युवक मण्डल के मंत्री गौरव तातेड़ ने किया। अतिथियों का स्वागत श्री अरिहन्त विकास समिति द्वारा किया गया। इस अवसर पर लक्की ड्रॉ के माध्यम से चयनित 11 भाग्यशाली श्रावक-श्राविकाओं को पुरस्कृत किया गया। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन सूर्योदय के समय प्रार्थना का आयोजन हो रहा है। प्रतिदिन दोपहर 2 से 3 बजे तक नवकार महामंत्र जाप हो रहा है।

सजोड़ा नवकार महामंत्र जाप में उमड़े श्रावक-श्राविकाएं

गुरू द्वय पावन अष्ट दिवसीय जन्मोत्सव के पहले दिन सजोड़ा नवकार महामंत्र जाप का आयोजन किया गया। जाप तत्वचिंतिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने कराया। नवकार महामंत्र जाप में बड़ी संख्या में शहर के विभिन्न क्षेत्रों से श्रावक-श्राविकाएं शामिल हुए। श्रावक सामायिक वेश में तो श्राविकाएं चुंदड़ पहनकर जाप में शामिल हुई। जाप में सजोड़ा शामिल श्रावक-श्राविकाओं को श्री गुलाबचंदजी, राजेन्द्रजी सुकलेचा परिवार की ओर से प्रभावना वितरित की गई।

सुकलेचा दंपति ने लिया आजीवन शील व्रत का प्रत्याख्यान

धर्मसभा में उस समय हर्ष-हर्ष के जयकारे गूंज उठे जब वरिष्ठ सुश्रावक गुलाबचंदजी सुकलेचा एवं वरिष्ठ सुश्राविका लाड़देवी सुकलेचा ने आजीवन शीलव्रत अंगीकार करते हुए प्रत्याख्यान लिए। उन्हें शील व्रत का प्रत्याख्यान आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा. ने कराया। शीलव्रत अंगीकार करने वाले सुकलेचा दंपति का श्री अरिहन्त विकास समिति की ओर से भी सम्मान किया गया।

महोत्सव में कल सुबह लोगस्स जाप, शाम को भजन संध्या

श्री अरिहन्त विकास समिति के अध्यक्ष राजेन्द्रजी सुकलेचा ने बताया कि मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा. की 133वीं जयंति एवं एवं लोकमान्य संत शेरे राजस्थान रूपचंदजी म.सा. की 96वीं जयंति के उपलक्ष्य में अष्ट दिवसीय गुरू द्वय पावन जन्मोत्सव के तहत शुक्रवार 25 अगस्त को तीन सामायिक के साथ सुबह 8.30 बजे से लोगस्स का जाप एवं सामूहिक तेला के तहत बेला तप आराधना होगी। लोकमान्य संत रूपचंदजी म.सा. के जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर 25 अगस्त को ही शाम 8.15 बजे से भजन संध्या ‘एक शाम गुरूदेव के नाम’ का आयोजन होगा। सुकलेचा परिवार की ओर से आयोजित इस भजन संध्या में गायक आर्यन जैन व निशा हिंगड़ गुरू भक्ति से ओतप्रोत भजनों की प्रस्तुति देंगे। महोत्सव के तहत 26 अगस्त को सामूहिक तेला तप पूर्ण होगा एवं पूज्य रूपचंदजी म.सा. की जयंति होने से गुरू गुणानुवाद कार्यक्रम होगा। इसी तरह 27 अगस्त को सामूहिक तेला तप पारणे के साथ सुबह 8.30 बजे से पैसठिया यंत्र जाप होगा। जन्मोत्सव के तहत 28 अगस्त को सुबह 8.30 बजे से उवसग्गहरं स्तोत्र जाप एवं 29 अगस्त को सुबह 8.30 बजे से श्री घंटाकर्ण महावीर जाप एवं श्रावक की 12 व्रत प्रतिज्ञा कार्यक्रम होंगा। इसी तरह 30 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व मनाने के साथ गुरू मिश्री गुणानुवाद होगा। जन्मोत्सव का समापन 31 अगस्त को महाश्रमण वचनसिद्ध श्री बुधमलजी म.सा. की जयंति मनाने के साथ होगा।