भीलवाड़ा। (पंकज पोरवाल) युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के कारण अपनी गौरवशाली परंपरा और संस्कारों को भूलते जा रही है। विद्यार्थियों में अपने देश की गौरवशाली संस्कृति, संस्कार, परंपरा और नैतिक मूल्यों के अंकुरण के भाव जागृत करने और गुरु-शिष्य के संबंधों को मधुर बनाने के उद्देश्य से प्रयास शुरू किए हैं। इसी के तहत रूपी देवी महाविद्यालय मांडल (भीलवाड़ा) की प्राचार्य डॉ ज्योति वर्मा व दुर्गा वाहिनी प्रांत महाविद्यालय प्रमुख सीमा पारीक ने सेवा, सुरक्षा, संस्कार के बारे में बताया। मां शारदे के दीप प्रज्वल कर कार्यक्रम की शुरुआत की। सीमा पारीक ने बताया कि कैसे बहनों को अपनी स्वयं की रक्षा करनी चाहिए। जब वह अपने स्वयं की रक्षा कर सकेगी तभी वह अपने परिवार गांव समाज व देश के रक्षा कर सकेगी। इसलिए आज के युग में बहनों को सेल्फ डिफेंस (नियुध), दण्ड चलाना, तलवार चलाना आना बहुत जरूरी है। जब कोई बहन किसी भी विधर्मी के जाल में फंस जाती है तो उसे अपनी रक्षा किस तरह करनी है। वह भी बहन को आना चाहिए। बहनों को अपने ललाट पर प्रतिदिन तिलक करना चाहिए, बड़ों का आदर व संस्कार जरूरी है। आज के जो हमारे बच्चे हैं वह पाश्चात्य संस्कृति को ज्यादा अपना रहे हैं इसलिए हमें अपनी संस्कृति को अपनाना चाहिए पाश्चात्य संस्कृति के बजाय। हमारे जो ग्रंथ है गीता, रामायण, महाभारत उनका अध्ययन हमें करना चाहिए। सबसे पहले किसी भी कार्य की शुरुआत हमें अपने घर से शुरू करनी चाहिए जब ही हम दूसरों को बता पाएंगे। हमारे मन में सदा निस्वार्थ भाव से समाज की राष्ट्र की सेवा करने का भाव होना चाहिए। डॉक्टर ज्योति वर्मा ने भी बहनों का हौसला बढ़ाया।